एक कहानी ऐसी भी
यह एक छोटी सी कहानी बहुत सारे लोगों को गहराई से सोचने पर मजबूर कर देगी।
एक दृश्य आपके सामने पेश करने जा रहा हूँ।
जॉन अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था। वह घर में अपने मां-बाप और दादी के साथ रहता था। बच्चे का पिता राहुल एक बिजनेसमैन थे और अपने कामकाज के सिलसिले में व्यस्त रहते थे।
घर से दूर रहने के कारण उसके मन में वही बैठता था, जो उसकी पत्नी(साक्षी) द्वारा बताया जाता था। पत्नी की अपनी सास के साथ बनती नहीं थी, इसलिए वह अपने पति को कोई ना कोई शिकायत लगाती रहती थी। धीरे-धीरे राहुल का अपनी मां (जॉन की दादी) से प्यार घटता गया और वह गुस्से से पेश आने लगा।
दादी- मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही। मुझे पानी दे दो, दवाई खानी है।
साक्षी- देख लो जी, ऐसे ही होता है मेरे साथ।
राहुल- क्या मां! कभी तो ठीक रहा करो। (गुस्से में)
दादी खुद ही उठ कर पानी ले आती है और साक्षी, राहुल को झूठी सच्ची कहानियां बताती रहती है।
अगले दिन:-
दादी- बेटा उठा नहीं जा रहा, मदद कर दो।
राहुल- मरने नहीं लगे हो, दिखता नहीं फाइल बना रहा था, गलत हो गई है।
(जॉन यह सब देखता रहा और दादी अपने बेटे के बारे में सोचती रही)
कुछ दिन बाद:-
अपने कारोबार में नुकसान होने की वजह से राहुल बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन बीमार हो गया।
राहुल- जॉन बेटा पानी देना।
जॉन- क्या पापा! आप से ठीक नहीं रहा जाता।
(इतने में साक्षी आकर पानी दे देती है)
शाम को:-
राहुल- जॉन बेटा, मेरा लैपटॉप देना 2 दिन से ईमेल भी नहीं देखी।
(जॉन गेम खेल रहा था)
जॉन- क्या पापा मरने लगे हो।
साक्षी ने आकर जोरदार थप्पड़ लगाया और जॉन रोने लगा। जॉन को गुस्से में बोला कि स्कूल ट्यूशन से यह सब सीखता है।
जॉन (रोते हुए मासूमियत से बोला)- मम्मी मैंने यह सब स्कूल से नहीं, घर से सीखा है। अब राहुल और साक्षी की नजरें शर्म से झुकी हुई थी और शांति का माहौल बन गया था।
राहुल और साक्षी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसके बाद दोनों मां से माफी मांगी और उसके कुछ दिनों बाद राहुल का कारोबार भी अच्छा चलने लगा। और सभी खुशी- खुशी जीवन यापन करने लगे।
एक बच्चे का पहला स्कूल उसका घर ही होता है। ज्यादातर वह वही सीखता है जो वह अपने आस पास देखता है।
By : Prem Kumar
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